थके थके से कदम फिर भी चले जा रहे हैं,
बुझे बुझे से मन फिर भी मुस्कुराये जा रहे हैं !
होता तो नही कोई अपना यहाँ,
फिर भी देखो गैरों से हम निभाए जा रहे हैं.........
बुझे बुझे से मन फिर भी मुस्कुराये जा रहे हैं !
होता तो नही कोई अपना यहाँ,
फिर भी देखो गैरों से हम निभाए जा रहे हैं.........
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