Tuesday, April 15, 2008

Self Creation-2

जब चलना शुरू किया तब अकेले थे,
आज मेरे साथ एक कारवां है,
जब आंखें खोली तोह सिर्फ़ रौशनी थी,
आज रंगों भरा संसार है,
ख़ुद को देखूं तो तनहा जल की बूँद हूँ,
पर अपने आस पास देखूं तो अनंत सागर का साथी हूँ,
कुछ समय पहले कोई इच्छा न थी मन मैं,
आज सपनो मी भी चाहतों का भंडार है,

कुछ समय पहले नही चल पता था मैं,
आज मेरी अलग रफ्तार है,

कुछ समय पहले कुछ नही था आज के मुकाबले,
आज फिर भी उस्सी समय के लिए दिल बेकरार है।

-- Written in lecture of E-Commerce in seventh sem, in the class in front of lecturer, sitting on front seat.............

kya din they ;)

just got old register today.(safai nahi chal rahi, table pe aise hi dhoond toh kuch raha tha, just yeh mil gaya.)

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